बुनकर समुदाय भुखमरी के कगार पर! जावेद भारती
बुनकर समुदाय भुखमरी के कगार :जावेद भारती
मुहममदाबाद गोहना (मऊ) स्थानीय कस्बे में स्थित अशरफिया लाइब्रेरी में बुनकर यूनियन के पदाधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें बुनकरों की बदहाली पर चर्चा करते हुए चिंता व्यक्त की गयी यूनियन के पूर्व महासचिव जावेद अख्तर भारती ने संबोधित करते हुए कहा कि आज बुनकरों की दशा जितनी खराब है इतनी पहले कभी नहीं हुई थी बुनकर मजदूर भुखमरी के कगार पर है बहोत से बुनकर गारा माटी वाला कार्य करने को विवश हैं सिर पर ईंट पत्थर ढोकर अपना जीवन का गुजर बसर कर रहे हैं जो कल तक अच्छे कपड़े पहनते थे तो लोग तंज कसते थे बुनकर मजदूर जवाब देते थे कि ये खुश हाली का सबूत नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति है लेकिन समय आज ऐसा आया कि महा मारी, बीमारी, लॉक डाउन के माहौल में हमारी सारी खूबियां छिन गईं और बुनकरों के मुँह का निवाला तक छिन गया आज बुनकर समुदाय पुराने कपड़ों में विभिन्न कार्य कर्ता है धूप के थपेड़े खाता है जिसे देख कर आंखों में आंसू आजातें हैं और ह्रदय से आह भी निकलती है बुनकरों की बैठक में खुल कर अपने विचारों को प्रकट करते जावेद भारती ने कहा कि कमियां अपने अंदर भी हैं, बुनकरों में ही कुछ ऐसे हैं जिन्हें आज के समय में भी खाने का स्वाद नहीं मिलता है और वो अपने सभी सुविधाओं का बखान करते हैं और गरीब बुनकरों का मज़ाक उड़ाते हैं बुनकरों का एक तबका ऐसा है जो गरीब बुनकर मजदूरों की मजदूरी घटाना समस्याओं का समाधान मानता है और वो मजदूरी घटा कर अपना समाधान कर लिया अब ऐसी स्थिति में प्रश्न ये उठता है गरीब बुनकर किस्से लड़ाई लड़े सरकार से या सरमाया दार से वास्तविकता तो यह है कि अंग्रेजी शासन काल में ज़मींदारों की जो सोच थी वही सोच आज के नई पीढ़ी के अमीर बुनकरों की है ये अपने लाभ के लिए गरीब बुनकरों का उपयोग करते हैं और जब काम हो जाता है तो यही शोषण एवं उत्पीड़न भी करते हैं,
रोज़गार व्यवसाय अच्छी बात है लेकिन उसमे शत प्रतिशत झूट का सहारा लेना बुरी बात है
जावेद भारती ने कहा कि बुनकरों के समक्ष दूसरी बहोत बड़ी समस्या विद्युत मूल्य के प्रति माह भुगतान की है पासबुक पर विद्युत विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया जाता और सरकार इस प्रकरण स्पष्ट नहीं करती परिणाम स्वरूप बुनकर एक तो भूका दूजे कर्जदार इस लिए उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय से बुनकरों की माँग है कि 5 किलो वाट तक के बुनकरों का मंथली विद्युत मूल्य दर निर्धारित कर पुर्व की भांति पासबुक सुविधा बहाल किया जाए भले ही मूल्य दरों में कुछ बढ़ोत्तरी कर लिया जाय
मुहममदाबाद गोहना (मऊ) स्थानीय कस्बे में स्थित अशरफिया लाइब्रेरी में बुनकर यूनियन के पदाधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें बुनकरों की बदहाली पर चर्चा करते हुए चिंता व्यक्त की गयी यूनियन के पूर्व महासचिव जावेद अख्तर भारती ने संबोधित करते हुए कहा कि आज बुनकरों की दशा जितनी खराब है इतनी पहले कभी नहीं हुई थी बुनकर मजदूर भुखमरी के कगार पर है बहोत से बुनकर गारा माटी वाला कार्य करने को विवश हैं सिर पर ईंट पत्थर ढोकर अपना जीवन का गुजर बसर कर रहे हैं जो कल तक अच्छे कपड़े पहनते थे तो लोग तंज कसते थे बुनकर मजदूर जवाब देते थे कि ये खुश हाली का सबूत नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति है लेकिन समय आज ऐसा आया कि महा मारी, बीमारी, लॉक डाउन के माहौल में हमारी सारी खूबियां छिन गईं और बुनकरों के मुँह का निवाला तक छिन गया आज बुनकर समुदाय पुराने कपड़ों में विभिन्न कार्य कर्ता है धूप के थपेड़े खाता है जिसे देख कर आंखों में आंसू आजातें हैं और ह्रदय से आह भी निकलती है बुनकरों की बैठक में खुल कर अपने विचारों को प्रकट करते जावेद भारती ने कहा कि कमियां अपने अंदर भी हैं, बुनकरों में ही कुछ ऐसे हैं जिन्हें आज के समय में भी खाने का स्वाद नहीं मिलता है और वो अपने सभी सुविधाओं का बखान करते हैं और गरीब बुनकरों का मज़ाक उड़ाते हैं बुनकरों का एक तबका ऐसा है जो गरीब बुनकर मजदूरों की मजदूरी घटाना समस्याओं का समाधान मानता है और वो मजदूरी घटा कर अपना समाधान कर लिया अब ऐसी स्थिति में प्रश्न ये उठता है गरीब बुनकर किस्से लड़ाई लड़े सरकार से या सरमाया दार से वास्तविकता तो यह है कि अंग्रेजी शासन काल में ज़मींदारों की जो सोच थी वही सोच आज के नई पीढ़ी के अमीर बुनकरों की है ये अपने लाभ के लिए गरीब बुनकरों का उपयोग करते हैं और जब काम हो जाता है तो यही शोषण एवं उत्पीड़न भी करते हैं,
रोज़गार व्यवसाय अच्छी बात है लेकिन उसमे शत प्रतिशत झूट का सहारा लेना बुरी बात है
जावेद भारती ने कहा कि बुनकरों के समक्ष दूसरी बहोत बड़ी समस्या विद्युत मूल्य के प्रति माह भुगतान की है पासबुक पर विद्युत विभाग द्वारा भुगतान नहीं किया जाता और सरकार इस प्रकरण स्पष्ट नहीं करती परिणाम स्वरूप बुनकर एक तो भूका दूजे कर्जदार इस लिए उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय से बुनकरों की माँग है कि 5 किलो वाट तक के बुनकरों का मंथली विद्युत मूल्य दर निर्धारित कर पुर्व की भांति पासबुक सुविधा बहाल किया जाए भले ही मूल्य दरों में कुछ बढ़ोत्तरी कर लिया जाय
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