इस्लाम धर्म में आतंकवाद की गुंजाइश नहीं। जावेद भारती
इस्लाम में आतंकवाद की कोई गुंजाइश नहीं! हिंदुस्तान का मुसलमान हिंदुस्तान के साथ खड़ा है। जावेद भारती
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की चारों तरफ निंदा हो रही है और होनी भी चाहिए, क्योंकि निर्दोष का खून बहाने और किसी की जान लेने का हक किसी को नहीं है। इस सिलसिले में पूरे देश की जनता एवं सम्मानित हस्तियों ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है और निंदा करने वालों में उलेमा, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं।
मशहूर लेखक जावेद अख्तर भारती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लाम धर्म के अंदर आतंकवाद की कोई जगह ही नहीं है, बल्कि इस्लाम तो वह धर्म है जो ऐलान करता है कि जिसने एक भी निर्दोष का खून बहाया उसने पूरी मानवता का खून बहाया और जिसने निर्दोष का खून बहने और बहाने से बचाया तो उसने पूरी मानवता को कत्ल होने से बचाया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ हुआ वह निंदनीय है और साथ ही लाशों पर राजनीति करना और इस गम के माहौल में हिंदू-मुस्लिम का खेल खेलना भी निंदनीय है। याद रखें कि हिंदुस्तान का मुसलमान कल भी वफादार था और आज भी वफादार है और पूरी वफादारी के साथ हिंदुस्तान के निर्माण व विकास और इसके संरक्षण के लिए सदा समर्पित है।
उन्होंने कहा कि एक आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि वह सिर्फ आतंकवादी होता है। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की हम निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस मामले को बेनकाब किया जाए और जिसने यह हरकत की है उसे उसके अंजाम तक पहुंचाया जाए।
जावेद भारती ने कहा कि यह वक्त नहीं है हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नफरत फैलाने का और राजनीतिक रोटियां सेंकने का, बल्कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
आगे कहा कि जहां पर्यटकों की इतनी बड़ी संख्या थी वहां सुरक्षा का इंतजाम न होना यह अफसोसजनक है। ऐसे दुख के माहौल में भी मुसलमानों के प्रति नफरती बयानबाजी करना भी निंदनीय है, ऐसे आतंकियों का इस्लाम धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। पहलगाम में पर्यटकों की जान बचाने के लिए मुसलमानों ने हर तरह की कुर्बानी दी है, यहां तक कि आदिल हुसैन ने एक इंसान की जान बचाने की कोशिश में खुद अपनी जान गंवा दी। सरकार देश की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए और हिंदू-मुस्लिम के नाम पर जहरीली बयानबाजी करने वालों पर लगाम लगाए।
Comments
Post a Comment